वक्फ बोर्ड अक्सर किसी न किसी बहाने चर्चा में रहता है. ताजा मामला आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान से जुड़ा है,
जिनपर ईडी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया. फिलहाल विधायक जमानत पर हैं.लेकिन वक्फ बोर्ड पर विवाद नया नहीं. उसपर आरोप लगता रहा कि वो अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करते हुए कई बार दूसरों की संपत्ति पर भी अपना दावा जता देता .. वक्फ बोर्ड और उससे जुड़ी दौलत लगातार चर्चा में है.
यहां तक कि पिछले साल भाजपा
विधायक हरनाथ सिंह यादव ने एक निजी विधेयक पेश करते हुए वक्फ एक्ट 1995 को खत्म
करने की सिफारिश कर दी. उनका कहना था कि ये लोकतंत्र के विपरीत है और देश हित में
इसे समाप्त किया जाना चाहिए बिल पर फैसला हालांकि नहीं लिया जा सका, लेकिन वक्फ
बोर्ड निशाने पर जरूर आ गया. कानूनन इसके पास असीमित ताकतें हैं, जिनका कथित तौर पर
वो मनमाना इस्तेमाल करता आया.
जानिए,क्या है वक्फ बोर्ड और कैसे काम करता है.
क्या है वक्फ का मतलब
वक्फ अरबी भाषा के वकुफा शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना. वक्फ का मतलब
है ट्रस्ट-जायदाद को जन-कल्याण के लिए समर्पित करना..इस्लाम में ये एक तरह का
धर्मार्थ बंदोबस्त है. वक्फ उस जायदाद को कहते हैं, जो इस्लाम को मानने वाले दान
करते हैं. ये चल-अचल दोनों तरह की हो सकती है. ये दौलत वक्फ बोर्ड के तहत आती है.
कौन कर सकता है डोनेशनकोई भी वयस्क मुस्लिम व्यक्ति अपने नाम की प्रॉपर्टी वक्फ के
नाम कर सकता है. वैसे वक्फ एक स्वैच्छिक कार्रवाई है, जिसके लिए कोई जबर्दस्ती
नहीं. इस्लाम में दान-धर्म के लिए एक और टर्म प्रचलित है, जकात. ये हैसियतमंद
मुसलमानों के लिए अनिवार्य है,आमदनी से पूरे साल में जो बचत होती है, उसका 2.5
फीसदी हिस्सा किसी जरूरतमंद को दिया जाता है, जिसे जकात कहते हैं.
वक्फ बोर्ड कैसे बनता और काम करता है
वक्फ के पास काफी संपत्ति है, जिसका रखरखाव ठीक से हो सके और धर्मार्थ ही काम आए, इसके लिए स्थानीय से लेकर बड़े स्तर पर कई बॉडीज हैं,
जिन्हें वक्फ बोर्डतकरीबन हर स्टेट में सुन्नी और शिया वक्फ हैं.
इनका काम उस संपत्ति की देखभाल, और उसकी आय का सही इस्तेमाल है. और उसकी आय का सही इस्तेमाल है. इस संपत्ति से गरीब और जरूरतमंदों की मदद करना,
मस्जिद या अन्य धार्मिक संस्थान को बनाए रखना, शिक्षा की व्यवस्था करना और अन्य धर्म के कार्यों के लिए पैसे देने संबंधी चीजें शामिल हैं
सेंटर ने वक्फ बोर्डों के साथ तालमेल के लिए सेंटर वक्फ काउंसिल बनाया हुआ है.
वक्फ एसेट्स मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में कुल 30 वक्फ बोर्ड्स हैं. इनके हेडक्वार्टर ज्यादातर राजधानियों में हैं.
क्या है वक्फ कानून साल
1954 में नेहरू सरकार के समय वक्फ अधिनियम पारित किया गया, जिसके बाद इसका सेंट्रलाइजेशन हुआ. वक्फ एक्ट 1954 इस संपत्ति के रखरखाव का काम करता. इसके बाद से कई बार इसमें संशोधन होता गया.
कौन-कौन शामिल बोर्ड में
बोर्ड में सर्वे कमिश्नर होता है, जो संपत्तियों का लेखा-जोखा रखता है. इसके अलावा इसमें मुस्लिम विधायक, मुस्लिम सांसद, मुस्लिम आइएएस अधिकारी, मुस्लिम टाउन प्लानर, मुस्लिम अधिवक्ता और मुस्लिम बुद्धिजीवी जैसे लोग शामिल होते हैं. वक्फ ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं. ट्रिब्यूनल में कौन शामिल होंगे, इसका फैसला राज्य सरकार करती है. अक्सर राज्य सरकारों की कोशिश यही होती है कि वक्त बोर्ड का गठन ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम से हो.
विवाद क्यों होता रहा
आरोप है कि सरकार ने बोर्ड को असीमित ताकत दे दी. वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा दिया गया है, जो किसी ट्रस्ट आदि से ऊपर है.
वक्फ बोर्ड को अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी संपत्ति के बारे में यह जांच कर सकता है कि वह वक्फ की संपत्ति है या नहीं. अगर बोर्ड किसी किसी संपत्ति को अपना कहते हुए दावा कर दे तो इसके उलट साबित करना काफी मुश्किल हो सकता है. वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती.
भाजपा के नेता हरनाथ सिंह ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु में वहां के स्टेट वक्फ बोर्ड ने तिरुचिरापल्ल जिले के एक पूरे गांव पर ही मालिकाना हक जता दिया था. महाराष्ट्र के सोलापुर में भी कुछ ऐसा केस आ चुका.
उत्तर प्रदेश में भी वक्फ बोर्ड ने बड़े पैमाने पर संपत्तियों पर दावा जताया था जिसके बाद योगी सरकार ने आदेश जारी कि वक्फ की सारी संपत्ति की जांच होगी. ये बात साल 2022 की है. लेकिन सर्वे के नतीजे सामने नहीं आ सके
कितनी संपत्ति बोर्ड के पास
वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में करीब 8 लाख 55 हजार से ज्यादा संपत्तियां ऐसी हैं जो वक्फ की हैं. सेना और रेलवे के बाद देश में संपत्ति के मामले में वक्फ तीसरा सबसे बड़ा भूमि मालिक है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्ति है. यूपी में सुन्नी बोर्ड के पास कुल 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं, जबकि शिया बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं.हर साल हजारों व्यक्तियों द्वारा बोर्ड को वक्फ के रूप में संपत्ति की जाती है, जिससे इसकी दौलत में इजाफा होता रहता है.
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